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कुमुदिनी घृतलहरे, मधुलता बारा
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श्रीमती कुमुदिनी घृतलहरे, मधुलता बारा
शोध-छात्रा, साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ
वरि. सहा. प्राध्यापक, साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला पं. रविषंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ
*Corresponding Author
Published In:
Volume - 5,
Issue - 3,
Year - 2014
ABSTRACT:
विश्व का कोना-कोना सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित है, अमीर-गरीब के बीच भेदभाव करना उसे आता ही नहीं, उसे तो बस जीवन में उजियारा फैलाना है। सूर्यबाला अर्थात् सूर्यपुत्री की क़लम ने भी उच्च वर्ग से निम्न वर्ग तक अपनी संवेदना पहुँचाई है। गाँव से नगर, महानगर होते हुए विदेशी धरा तक को अपनी कहानियों में पिरोया है। वे जीवन-मूल्यों को विशेष महत्व देती हैं, इसलिए उनकी कहानियों के पात्र दुःख, अभाव, भय के बीच जीते हुए भी साहस के साथ उनका सामना करते हुए जीवन में सुकुन की तलाश कर ही लेते हैं। विद्रोह की भावना कहीं नहीं है।
Cite this article:
कुमुदिनी घृतलहरे, मधुलता बारा. सूर्यबाला की कहानियों में निम्नवर्ग का यथार्थ चित्रण. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(3): July-September, 2014, 283-285.
Cite(Electronic):
कुमुदिनी घृतलहरे, मधुलता बारा. सूर्यबाला की कहानियों में निम्नवर्ग का यथार्थ चित्रण. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(3): July-September, 2014, 283-285. Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2014-5-3-6
सदर्भ-ग्रंथ
1. सूर्यबाला. 21 श्रेष्ठ कहानियाँ. नई दिल्ली: डायमंड पाॅकेट बुक्स (प्रा.) लि., सं. 2009, पृ. 33.
2. वही. गौरा गुनवन्ती. नई दिल्ली: भारतीय ज्ञानपीठ, दूसरा संस्करण 2011, पृ. 26.
3. वही. एक इंद्रधनुष जुबेदा के नाम. नई दिल्ली: विद्या विहार, सं. 2008, पृ. 128.
4. वही, 21 श्रेष्ठ कहानियाँ. पृ. 171.
5. वही. कात्यायनी संवाद. नई दिल्ली: ग्रंथ अकादमी, सं. 2011, पृ. 69.
6. वही. पाँच लंबी कहानियाँ. वही, पृ. 53.
7. वही, पृ. 84.