Author(s):
श्रीनिधि पाण्डेय, आभा तिवारी
Email(s):
Email ID Not Available
DOI:
Not Available
Address:
श्रीनिधि पाण्डेय1, आभा तिवारी2
1शोधार्थी, दूधाधारी बजरंग महिला स्नात. महाविद्यालय, रायपुर.
2प्राध्यापक, दूधाधारी बजरंग महिला स्नात. महाविद्यालय, रायपुर.
*Corresponding Author:
Published In:
Volume - 5,
Issue - 2,
Year - 2014
ABSTRACT:
यात्रा का जीवन से अविच्छिन्न संबंध है आदिकाल से ही मनुष्य यायावर रहा है। प्रकृति का सौंदर्य उसे हमेशा आकर्षित करता रहा है, इसी आकर्षण ने जब अभिव्यक्ति प्राप्त की तब यात्रा साहित्य एक विधा के रूप में विकसित हुआ। हिन्दी यात्रा साहित्य को संपन्न बनाने में बहुत से यात्रा साहित्यकारों ने अपना योगदान दिया। इन साहित्यकारों में महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी का नाम प्रधान माना जाता है। राहुल जी ने विपुल यात्रा साहित्य लिखकर इस विधा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं उनका यात्रा साहित्य देश-विदेश की सांस्कृतिक संपदा से भरा हुआ है। विभिन्न देशों की संस्कृति का स्पष्ट और विस्तृत वर्णन राहुल जी के यात्रा साहित्य में देखने को मिलता है।
Cite this article:
श्रीनिधि पाण्डेय, आभा तिवारी. राहुल सांकृत्यायन के यात्रा साहित्य में पहाड़ी लोक संस्कृति. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(2): April-June, 2014, 241-243
Cite(Electronic):
श्रीनिधि पाण्डेय, आभा तिवारी. राहुल सांकृत्यायन के यात्रा साहित्य में पहाड़ी लोक संस्कृति. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(2): April-June, 2014, 241-243 Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2014-5-2-18
संदर्भ:-
1. सांकृत्यायन राहुल, हिमाचल-1, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, द्वितीय संस्करण, 2009, पृ. 126
2. सांकृत्यायन राहुल, किन्नर देश में, किताब महल, इलाहाबाद, संस्करण-2006, पृ. 59
3. वही, पृ. 168
4. वही, पृ. 328
5. वही, पृ. 354
6. सांकृत्यायन राहुल, हिमालय-2, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, द्वितीय संस्करण, 2001, पृ. 226
7. सांकृत्यायन राहुल, हिमाचल-1, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, द्वितीय संस्करण, 2009, पृ. 195
8. सांकृत्यायन राहुल, मेरी जीवन यात्रा-2, राधाकृष्ण प्रकाशन नई दिल्ली, दूसरी आवृत्ति, 2010, पृ. 134
9. उŸार पूर्वांचल, राहुल सांकृत्यायन, स्मृति अंक, अर्धवार्षिक पत्रिका सिलीगुड़ी, सितम्बर-1993, पृ. 74।