Author(s):
राजेश शुक्ला, बी एल सोनेकर
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राजेश शुक्ला1 एवं बी एल सोनेकर2
1उपाचार्य, समाजशास्त्र विभाग, दुर्गा महाविद्यालय, रायपुर
2व्याख्याता, अर्थशास्त्र अध्ययनशाला, पं.र.शु.वि. रायपुर।
*Corresponding Author:
Published In:
Volume - 2,
Issue - 4,
Year - 2011
ABSTRACT:
साक्षरता किसी भी समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है जिसमंे महिला साक्षरता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है किन्तु आज भी जनजाति महिला साक्षरता की दृष्टि से पिछड़े हुए हैं 2001 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षरता 39.3 प्रतिशत है, जबकि पुरूषों का 65 प्रतिशत अर्थात पुरूषों की तुलना में 25.7 प्रतिशत की कमी है। अतः सरकार को इन जनजाति महिलाओं की साक्षरता विकास के लिए अनेक योजनाओं को संचालित करने की आवश्यकता है।
Cite this article:
राजेश शुक्ला, बी एल सोनेकर. जनजाति महिलाओं की साक्षरता एक अध्ययन (छ.ग. राज्य के संदर्भ में). Research J. Humanities and Social Sciences. 2(4): Oct. - Dec., 2011, 186-187
Cite(Electronic):
राजेश शुक्ला, बी एल सोनेकर. जनजाति महिलाओं की साक्षरता एक अध्ययन (छ.ग. राज्य के संदर्भ में). Research J. Humanities and Social Sciences. 2(4): Oct. - Dec., 2011, 186-187 Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2011-2-4-7
संदर्भ
1 भारत की जनगणना-2001
2 छत्तीसगढ़ आर्थिक सर्वेक्षण-2009-10