Author(s): अभिलाषा शर्मा’ एवं ज्योति रवि तिवारी

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Address: अभिलाषा शर्मा’ एवं ज्योति रवि तिवारी
गृहविज्ञान संकायए शास. दू.ब. महिला स्नात. महाविद्यालय, रायपुर, (छ. ग
*Corresponding Author:

Published In:   Volume - 1,      Issue - 3,     Year - 2010


ABSTRACT:
शिक्षा किसी भी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के विकास की धुरी होती है । शिक्षा के बिना कोई भी राष्ट्र समाज या व्यक्ति प्रगति नही कर सकता है । शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा व्यकित समाज या देश का मूल्यांकन किया जा सकता है । शिक्षा नागरिकों में आत्मविश्वास, आत्मगौरव, आत्मसंतोष जैसे भावों को भरने के साथ-साथ समाज सेवा जैसे सद्गुणों को विकसित करने की अलौकिक शक्ति है । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश में उच्च शिक्षा का विकास तीव्रगति से हुआ । वर्तमान समय में 207 विश्वविद्यालय तथा 9278 महाविद्यालय में 68 लाख युवा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । आधुनिक भारत में शिक्षा का उद्देश्य लोकतांत्रिक नागरिकता का विकास करना भी रहा है । शिक्षा बहुआयामी होती है जो सामाजिक विकास करती है । भारत में उच्च शिक्षा की परंपरा प्राचीन काल से है । वैदिक काल में गुरूकुल शिक्षा का केन्द्र था । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् उच्चशिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हेतु विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग की स्थापना की गई । (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986) के अनुसार उच्चशिक्षा में न्यूनतम आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था तथा उनके ग्रहण क्षमता के अनुरूप प्रवेश निश्चित करने के प्रयास किये गये है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिये गये वक्तव्य के बाद भी उच्च अध्ययन संस्थाओं के अनियोजित विस्तार को रोका नहीं जा सका है । अतः विश्वविद्यलयों की संख्या जो 1985-86 में 149 थी वह 1992-93 में बढ़कर 207 हो गई और इस अवधि में महाविद्यालयों की संख्या 5816 से बढ़कर 6323 हो गई।ं इस समय 9278 महाविद्यालयों में 68 लाख युवा शिक्षा प्राप्त कर रहे है ।


Cite this article:
अभिलाषा शर्मा’ एवं ज्योति रवि तिवारी. उच्च शिक्षा का सामाजिक विकास पर प्रभाव. Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(3): Oct.-Dec. 2010, 91-92.

Cite(Electronic):
अभिलाषा शर्मा’ एवं ज्योति रवि तिवारी. उच्च शिक्षा का सामाजिक विकास पर प्रभाव. Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(3): Oct.-Dec. 2010, 91-92.   Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2010-1-3-5


संदर्भ सूची:-
1        सामाजिक परिवर्त्रन - यशदेव शल्य राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर ।
2        भारतीय शिक्षा का विकास एवं समस्याएॅ - प्रो. आर.एन. शुक्ल
3        शिक्षा आयोग की रिपोर्ट 1964-65 षिक्षा और राष्ट्रीय विकास भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय (हिन्दी संस्करण)
4        शिक्षा समस्या और समाधान - मुनि कल्याण सागर ।
5        समाज दर्शन की भूमिका - डाॅ. जगदीश सहाय श्रीवास्तव ।

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DOI: 10.5958/2321-5828 


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