Author(s): के. एस. गुरूपंच

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Address: के. एस. गुरूपंच
प्राचार्य, एम. जे. महाविद्यालय, भिलाई (छ.ग.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 5,      Issue - 3,     Year - 2014


ABSTRACT:
पृथ्वी अपने में असीम संभावनाएँ एकत्रित किये हुए है। प्रकृति के अनेकानेक विविधताओं की कल्पना कर ही इस बात का पता लगाया जा सकता है कि संभावनाएँ पक्ष की है या विपक्ष की। तात्पर्य पृथ्वी पर अथाह कृषि भूमि, जल, वृक्ष, जीव-जंतु तथा खाद्य पदार्थ थे, परंतु मानव के अनियंत्रित उपभोग के कारण ये सीमित हो गये हैं। पर वास्तव में अभी देर नहीं हुई है हम अपने प्रयासों से इन संपदाओं का उचित प्रबंधन कर इसे भविष्य के लिए उपयोगी बना सकते हैं।


Cite this article:
के. एस. गुरूपंच . छत्तीसगढ़ में जैव विविधता एवं संरक्षण. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(3): July-September, 2014, 275-282.

Cite(Electronic):
के. एस. गुरूपंच . छत्तीसगढ़ में जैव विविधता एवं संरक्षण. Research J. Humanities and Social Sciences. 5(3): July-September, 2014, 275-282.   Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2014-5-3-5


संदर्भ -
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2.  अखंड ज्योति, पत्रिका मई 2014, पृ. 28
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