Author(s): K. S. Gurupanch

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DOI: Not Available

Address: Dr. K. S. Gurupanch
Principal, M.J. College, Kohka Junwani Road, Bhilai (C.G.)
*Corresponding Author

Published In:   Volume - 4,      Issue - 3,     Year - 2013


ABSTRACT:
प्रकृति की सुरम्यता छत्तीसगढ़ के कण-कण में समाहित है। कल-कल निनादित नदियाँ, संगीत के सुरों को सहेजते झरने, प्रकृति प्रदत्त गुफाएँ, वन्य पशु पक्षियों, वृक्षों से आच्छादित एवं झींगुरों में झंकृत वन्य प्रांत छत्तीसगढ़ की शोभा में द्विगुणित विस्तार करते हैं। अतीत के अवशेषों से युक्त प्रस्तर खण्डों से निर्मित किले तथा भग्नावशेष, शिल्पियों द्वारा प्रस्तर खण्डों में उकेरी गई मूर्तियाँ अनायास ही पर्यटकों का मन मोह लेती है। भारत के प्रायः सभी राज्यों में पर्यटन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है साथ ही प्रदूषण भी उसी अनुपात में फैल रहा है। नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के बाद पर्यटन के विषय में जागरूकता बढ़ी है ।


Cite this article:
K. S. Gurupanch. छत्तीसगढ़ में पर्यटन एवं पर्यावरणीय प्रदूषण Tourism and Environmental Pollution in the Chhattisgarh. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 373-376.

Cite(Electronic):
K. S. Gurupanch. छत्तीसगढ़ में पर्यटन एवं पर्यावरणीय प्रदूषण Tourism and Environmental Pollution in the Chhattisgarh. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 373-376.   Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-3-16


संदर्भ ग्रंथ-सूची
01.   सुश्री अंजू मुखर्जी- पर्यावरण परिचय, छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी, रायपुर, 2007.
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03.   डाॅ. ए. राजशेखर- पर्यावरण अध्ययन, दिव्या प्रकाशन, रायपुर।
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05.   दिलीप कुमार मार्कण्डेय एवं नीलिमा राजवैद्य- प्रकृति, पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण, ए.पी.एच. पब्लिशिंग कारपोरेशन, 1999.
06.   डाॅ. प्रदीप शुक्ला एवं सीमा पाण्डेय- छत्तीसगढ़ में पर्यटन, वैभव प्रकाशन, रायपुर ।

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RNI: Not Available                     
DOI: 10.5958/2321-5828 


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