ABSTRACT:
प्रकृति की सुरम्यता छत्तीसगढ़ के कण-कण में समाहित है। कल-कल निनादित नदियाँ, संगीत के सुरों को सहेजते झरने, प्रकृति प्रदत्त गुफाएँ, वन्य पशु पक्षियों, वृक्षों से आच्छादित एवं झींगुरों में झंकृत वन्य प्रांत छत्तीसगढ़ की शोभा में द्विगुणित विस्तार करते हैं। अतीत के अवशेषों से युक्त प्रस्तर खण्डों से निर्मित किले तथा भग्नावशेष, शिल्पियों द्वारा प्रस्तर खण्डों में उकेरी गई मूर्तियाँ अनायास ही पर्यटकों का मन मोह लेती है। भारत के प्रायः सभी राज्यों में पर्यटन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है साथ ही प्रदूषण भी उसी अनुपात में फैल रहा है। नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के बाद पर्यटन के विषय में जागरूकता बढ़ी है ।
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K. S. Gurupanch. छत्तीसगढ़ में पर्यटन एवं पर्यावरणीय प्रदूषण Tourism and Environmental Pollution in the Chhattisgarh. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 373-376.
Cite(Electronic):
K. S. Gurupanch. छत्तीसगढ़ में पर्यटन एवं पर्यावरणीय प्रदूषण Tourism and Environmental Pollution in the Chhattisgarh. Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 373-376. Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2013-4-3-16
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