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सुनीता अग्रवालए, संजय चन्द्राकर
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सुनीता अग्रवालए संजय चन्द्राकर
1सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र संत गुरू घासीदास शास. स्नात. महाविद्यालय, कुरूद, (छ.ग.)
2सहायक प्राध्यापक, समाजशास्त्र शास.दू.ब.महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
*Corresponding Author:
Published In:
Volume - 2,
Issue - 1,
Year - 2011
ABSTRACT:
पूरे विश्व में स्वस्थ जीवन, दीर्घ आयु तथा इसके लिए जरूरी स्वास्थ्य एवं पोषण सुविधाओं को विकास का मापदंड माना गया हंै । विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों ने यह प्रमाणित किया हंै कि स्वास्थ्य पर सभी व्यक्तियों का अधिकार होना चाहिए । किसी भी देश के विकास के लिए वहां के मानव का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य आवश्यक है अर्थात् किसी भी राष्ट्र के सरकार की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे अपने नागरिकों के लिए सर्वसुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करायें । विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान में यह भी कहा गया है कि अच्छा स्वास्थ्य प्रत्येक मनुष्य का मूल अधिकार हैं। इस विषय पर जाति, धर्म, राजनीति, विश्वास, धार्मिकता सामाजिक आधार पर कोई भेदभाव नही किया जा सकता । स्वास्थ्य के महत्व को स्वीकारते हुए कहा गया है कि समस्त प्रकार के संसाधनों का भरपूर उपयोग तभी संभव हंै जब आम आदमी के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो । स्वस्थ समाज के निर्माण की सार्वभौमिक परिकल्पना भी इसी मत की पुष्टि करती हंै। इन्हीं समस्त पहलुओं के अध्ययन के लिए आयुर्विज्ञान का समाजशास्त्र ; डमकपबंस ैवबपवसवहलद्ध का निर्माण हुआ ।
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सुनीता अग्रवालए, संजय चन्द्राकर. ग्रामीण स्वास्थ्य- सुविधाएं, समस्याएं एवं चुनौतियां (छत्तीसगढ़ के विशेष संदर्भ में). Research J. Humanities and Social Sciences. 2(1): Jan.-Mar. 2011, 25-26
Cite(Electronic):
सुनीता अग्रवालए, संजय चन्द्राकर. ग्रामीण स्वास्थ्य- सुविधाएं, समस्याएं एवं चुनौतियां (छत्तीसगढ़ के विशेष संदर्भ में). Research J. Humanities and Social Sciences. 2(1): Jan.-Mar. 2011, 25-26 Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2011-2-1-7
संदर्भ
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