ABSTRACT:
परिवार एक आधारभूत और सर्वव्यापी संस्था है। संस्कृति के सभी स्तरों में पारिवारिक संगठन पाया जाता है।1. विश्व के सभी समाजों में शिशु का जन्म और पालन पोषण का उत्तरदायित्व परिवार का ही होता है। शिशुओं को संस्कार देने और समाज के आचार, व्यवहार और नियमों में दीक्षित करने का दायित्व मुख्यतः परिवार का ही होता है। इसी परम्परा और नियम के द्वारा समाज की सांस्कृतिक विरासत और संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्वभाविक रूप से हस्तांतरित होती रहती है।2. किसी भी व्यक्ति के प्रति पारिवारिक और सामाजिक दृष्टिकोण उसकी जीवन शैली का निर्धारण करता है। पारिवारिक एवं सामाजिक दृष्किोण से उसकी समस्त गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं। फिर वह पुरुष हो या महिला। जहां तक सवाल है महिलाओं का तो उनके प्रति पारिवारिक व सामाजिक दृष्टिकोण से उनकी पूरी जीवनशैली प्रभावित होती है। परिवार और समाज की महिलाओं के बारे में सोच, व्यवहार आदि से उनके भविष्य की दिशा भी तय होती है। भारतीय इतिहास के पन्ने इस बात के साक्षी हैं। वैदिक काल से लेकर मध्यकाल और आधुनिक काल तक महिलाओं की स्थिति एक सी नहीं रही है।
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कमलेश ग¨गिया, हेमलता ब¨रकर. महिला खिलाड़िय¨ं क¢ प्रति परिवार एवं समाज क¢ दृष्टिक¨ण का एक विशलेषण. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(1): January-March, 2015, 29-32.
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कमलेश ग¨गिया, हेमलता ब¨रकर. महिला खिलाड़िय¨ं क¢ प्रति परिवार एवं समाज क¢ दृष्टिक¨ण का एक विशलेषण. Research J. Humanities and Social Sciences. 6(1): January-March, 2015, 29-32. Available on: https://rjhssonline.com/AbstractView.aspx?PID=2015-6-1-6
संदर्भः
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