उद्यमिता विकास में ’’साहसिक वित्त’’ की भूमिका

श्रीमति पदमा सोमनाथे, श्रीमति कविता सिलवाल

सहा. प्राघ्यापक (वाणिज्य) गुरुकुल महिला महाविधालय रायपुर (छ.ग.)

सहा. प्राघ्यापक (वाणिज्य) गुरुकुल महिला महाविधालय

 

पारंपरिक  वित्तीय स्त्रोत से भिन्न तथा नवाचार को बढ़ावा देने वाला साहसिक वित्त जो उद्यम पूँजी कोष सह प्रवर्तक तथा सह स्वामी की भूमिका का निर्वहन करते हुए उन नवीन तथा युवा उपक्रमों हेतु उपलब्ध है जिनमें तीव्र विकास की संभावनाएँ होती है ।’’

 

 

’’महान समाज वह समाज होता है जिसमें संबंधित व्यक्ति उद्यमिता का चिंतन एवं व्यवहार करते है।’’

 

उद्यमिता औद्योगिक, आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति का आधारस्तंभ है।  हालांकि उद्यमिता का विकास विगत दो सौ वर्षो से होता आ रहा है किंतु 21वीं शताब्दी के प्रांरभिक वर्षों से संपूर्ण विश्व में उद्यमिता का विकास तीव्र गति से हो रहा है।  आज उद्यमिता विकास के आधार पर विश्व का आर्थिक एवं औद्योगिक स्वरूप परिवर्तित हो रहा है तथा व्यवसायिक वातावरण के नवनिर्माण को प्रोत्साहन मिल रहा है।  निःसंदेह उद्यमिता की भावना का विकास आधुनिक व्यवसायिक इतिहास की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना है जो व्यवसाय एवं उद्योग से नवीन वस्तुओं, नवीन उत्पादन विधियों, नवीन वितरण पद्धतियों, नवीन अवसरों की खोज रोजगार सृजन, पूंजी निर्माण आदि उद्यमिता की नवप्रवर्तन अवधारणा का मूल तत्व है।

 

कुछ लोगों के पास बड़े अच्छे उत्पाद विचार होते है आकर्षक परियोजनाएॅं होती है।  तकनीकी ज्ञान होता है किन्तु अधिक जोखिम तथा आवश्यक वित्तिय संसाधनों के कारण योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पाता है। कोई भी नवीनीकरण का संकल्प अपनी साधारण सी उद्यमता के वित्त की जरूरत के कारण गर्भ में ही खत्म ना हो इसलिए साहसिक वित्त अस्तित्व में आया है।  जो कि नवीन तथा उन संगठनोें को प्रदान किया जाता है जिनमें तीव्र विकास की संभावना है।

 

साहसिक वित्त की संकल्पना मात्र उच्च तकनीकी तक सीमित नहीं है अपितु सूचना तकनीक, इलेक्ट्रानिक्स, बायोतकनीक, हेल्थ केयर, टेलीकम्यूनिकेशन, मीडिया तथा मनोरंजन, साॅफ्टवेयर, फार्मास्युटीकरल्ज, उर्जा परियोजना आदि तक विस्तृत है। उद्यम पूॅजी के स्त्रोत कम्पनियाॅं, बैंक, बीमा कम्पनी वित्तीय संस्थान तथा उनकी सहायक कम्पनियाॅं होती है।

 

साहस पूॅंजी प्रायः 5 से 10 वर्ष के लिए समता पूॅंजी ;म्ुनपजल ब्ंचपजंसद्ध तथा अर्द्ध समता पूंजी ;फनंेप म्ुनपजल ब्ंचपजंसद्ध के रूप में होती है।  साहसिक पूॅंजी प्रदाता कम्पनियों का पंजीयन और नियमन सेबी ;ैम्ठप्द्ध द्वारा किया जाता है।

 

उद्यमी पूँजीपति उद्यम को अपनी विपणन योजना बंदी तथा प्रबंधकीय योग्यताएॅं तथा नई फर्म को तकनीक भी देता है।  वह एक बैंकर, विकास को वित्त देने वाले तथा साथ ही स्टाक बाजार के निवेशक की भूमिकाएं अदा करता है।  वह कम्पनी के विकास को इस आशा से देखता है कि वह भविष्य में कम्पनी के म्ुनपजल ैींतमे को बेच कर पूॅंजी लाभ कमा सके।  अतः यह कहा जा सकता है कि प्रबंधीकीय, तकनीकी तथा मूल्यवर्धित सेवाओं के साथ सुलभ होने वाला साहसिक वित्त नवीन उपक्रमों के लिए बीज पूँजी के रूप के कार्य करता है।

 

साहसिक वित्त की अवधारणा एवं क्रमागत विकास

व्यावसायिक क्षेत्र में उद्यम पूँजी की अवधारणा का जन्म 20वीं शताब्दि में हुआ।  विश्व भर में आधुनिक साहसिक पूँजी का जनक अमेरिका के जार्जेज डोरियत ;ळमवनहमे क्वतपवजद्ध को माना जाता है उन्होंने सर्वप्रथम 1996 में अमेरिका रिसर्च डेवलपमेंट काॅरपोरेशन ;।त्-क्ब्द्ध नामक उद्यम पूँजी फर्म की स्थापना की थी। तत्पश्चात् तेजी से बढ़ती प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों की स्थापना एवं विकास ने इस अवधारणा को विश्व भर में प्रगति प्रदान की।

 

भारत में भट्ट समिति द्वारा लघु एवं मध्यम उपक्रमों पर दी गई रिपोर्ट के आधार पर सर्वप्रथम 1975 में भारतीय औद्योगिक वित्त निगम द्वारा रिस्क कैपिटल फाउॅंडेशन की स्थापना की।  तत्पश्चात् अन्य भारतीय वित्तीय संस्थानों ने जैसे भारतीय औद्योगिक विकास बैंक ;प्क्ठप्द्ध ने 1986 में ैममक ब्ंचपजंस ैबीमउम तथा 1988 में औद्योगिक साख एवं विनियोग निगम ;प्ब्प्ब्प्द्ध ने टमदजनतमष्े ब्ंचपजंस ैबीमउम प्रारंभ की।  इसके अतिरिक्त अनेक भारतीय सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों तथा निजी क्षेत्र की वाणिज्यिक बैकों ने भी साहसिक पूँजी के क्षेत्र में प्रवेश किया जिसकी सफलता से प्रभावित होकर भारत सरकार ने 18 नवम्बर 1988 को उद्यम पूँजी कोषों के विकास एवं विस्तार हेतु दिशा निर्देश जारी किए तथा इन संस्थाओं को टमदजनतमष्े ब्ंचपजंस थ्नदक प्रदान करने के लिए अधिकृत किया।  भारतीय उद्यम पूँजी कोष या संस्थानों का पंजीयन एवं नियमन ैम्ठप् अधिनियम 1992 के अंतर्गत् किया जाता है।

 

साहसिक वित्त पोषण की अवस्थायें

नव प्रवर्तित उपक्रम की आवश्यकतानुसार विभिन्न चरणों में साहसिक पूँजी का पोषण किया जाता है, सामान्यतया साहसिक पूँजी तीन चरणों में प्रदान की जाती है:-

 ऽ    उत्पाद विकास हेतु शोध एवं विकास वित्तपोषण ;त्मेमंतबी - क्मअमसवचउमदज थ्पदंदबपदह वित चतवकनबज क्मअमसवचउमदजद्ध

ऽ     उत्पाद एवं विपणन हेतु प्रारंभिक पूंजी ;ैजंतज नच बंचपजंस वित चतवकनबजपवद ंदक डंतामजपदहद्ध

ऽ     कार्यशील पूँजी वित्तपोषण विकास वित्तपोषण ;ॅवतापदह ब्ंचपजंस पिदंदबपदहद्ध

ऽ     विस्तृत विस्तार हेतु विकास वित्तपोषण ;क्मअमसवचउमदज थ्पदंदबपदह वित डंरवत म्गचंदेपवदद्ध

ऽ     सार्वजनिक निर्गमन हेतु वित्तपोषण ;ठतपकहम थ्पदंदबपदह वित थ्ंबपसपजंजपदह च्नइसपब प्ेेनमद्ध

ऽ     अन्य उत्पाद अथवा फर्म अधिग्रहण हेतु वित्तपोषण ;।बुनपेपजपवद पिदंदबपदह जीम ंबुनपतपदह ंदवजीमत पितउ वत चतवकनबजद्ध

ऽ     ऋण इकाईयों के पुनः संचालन हेतु वित्तपोषण ;पिदंदबपदह वित चवतजपदह ंतवनदक ं ेपबा नदपजद्ध

 

भारत में जोखिम पूँजी के स्त्रोत:-

(Sources of venture capital in India)

Fund

Venture

Year started

size of fund (Rs. million)

US $ million

1.       Venture Capital Fund Scheme

2.       India Investment Fund

3.       Venture Capital Unit Scheme I

4.       Can Bank Venture Capital Fund

5.       All-Industry Fund

6.       Second India Investment Fund

7.       Venture Capital Unit Scheme II

8.       APIDC Venture Capital Fund 1990

9.       Gujarat Venture Capital Fund

10.     20th Century Fund

 

11.     Indus Venture Capital Fund I

12.     IL & FS Venture Capital

13.     Venture Capital Unit Scheme III

 

14.     IFB Venture Capital

15.     Information Technology Fund

16.     Punjab InfoTech Venture Fund

17.     Venture Capital Fund

18.     National Venture Fund For Software And IT

IDBI

Grind Lays 31 Investment Services Ltd.

TDICI

Can Bank Financial Services Ltd.

Credit Capital Venture Fund (I)

Grind Lays 31 Investment Services Ltd.

TDICI

APIDC Venture Finance Ltd.

 

Gujarat Venture Finance Ltd.

20th Century Venture Capital Corporation Ltd.

Indus Venture Management Ltd.

IL & FS Venture Corporation

RC & TF Corporation IFB Venture Capital Finance Ltd.

IFB Venture Capital Finance Ltd.

Credit Capital Venture Fund (I)

Punjab Venture Capital Limited

SIDBI

SIDBI

 

1987

1987

1989

1989

1990

1990

1990

1990

 

1990

1991

 

1991

1991

1992

 

1992

1993

 

1992-93

1999

543.6

 

300.0

156.0

120.6

 

1,000.0

135.0

 

240.0

287.0

 

210.0

500.0

100.0

 

100.0

100.0

200.0

100

1 billion

 

7.5

 

 

 

 

13.5

 

 

निष्कर्ष-

साहसिक वित्त, आधुनिक उद्यमिता विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है, उद्यम पूँजी कोषों से न केवल प्रारंभिक अवस्था बल्कि उपक्रम के विकास, विस्तार तथा व्यवसाय अधिग्रहण हेतु की वित्त पोषण किया जाता है।

 

उद्यम पूँजी कोष नवाचारी तथा ज्ञान आधारित गतिविधियों से संबंधित उद्योगों को पूंजी प्रदान करने के साथ-साथ कई प्रबंधकीय तकनीकी एवं मूल्यवर्द्धित सेवायें भी प्रदान करता है।

यह कोष सह-प्रर्वतक तथा सह-स्वामी दोनों की भूमिका का निर्वहन करता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

·        Sources:

·        Indian Venture Capital Association – www.indiavca.org

·        Securities and Exchange Bound of India – www.sebi.gov.in

·        AVCJ – 1994-95

ऽ  उद्यमिता के मूल तत्व - आर सी अग्रवाल (2011-2012)

ऽ  उद्यमीकरण के मूल सिद्वान्त - रेणु अरोरा (2010-2011

 

 

 

 

 

Received on 22.06.2013

Revised on 15.07.2013

Accepted on 30.07.2013     

© A&V Publication all right reserved

Research J. Humanities and Social Sciences. 4(3): July-September, 2013, 377-379