बिलासपुर नगर की कार्यषील महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता
सरला शर्मा
भूगोल अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ।
सारांशरू
मानवीय क्रियाओं में आर्थिक क्रियाओं का विषेश स्थान हैं, क्योंकि किसी क्षेत्र की जनसंख्या की आर्थिक संरचना उस क्षेत्र विषेश की जनांकिकी, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृश्ठभूमि का न केवल प्रतिबिंब है अपितु सामाजिक, आर्थिक विकास का आधार भी है । वर्तमान बदलते हुए परिवेश में तकनीकी एवं आर्थिक प्रगति तथा तीव्रगामी यातायात के साधनों से गांव एवं नगर की सामाजिक - आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में पर्याप्त विभिन्नताएं उत्पन्न हुई है, विशेषकर नगर एवं महानगरों में औद्योगिक एवं व्यापारिक विकास से रोजगार की उपलब्धता में निरंतर वृद्धि हुई है, जिसने पुरूशों के साथ महिलाओं की भी क्रियाषीलता को प्रभावित किया है । इसें स्त्री शिक्षा के उत्कृश्ट परिणाम उभर कर आए हैं ।
सामान्यता, श्रमशक्ति संघटन, लिंग, आवास एवं आयु द्वारा परिवर्तनश्ील होता है । मेहता (1967) के अनुसार विष्व के अधिकांश समाजों में रोजी रोटी का दायित्व मुख्यतया पुरूशों पर होता है, इसीलिए विष्व के सभी देशों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरूशों की संख्या श्रमशक्ति में अधिक है । तथापित वर्तमान परिवेश में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक महिलाओं की क्रियाशीलता में अब बाधक नहीं रहे । स्त्रियों की क्रियाशीलता, घर से बाहर जाने की स्वयत्रंता, आर्थिक आवष्यकताएं जो सभी कार्य को करने को मजबूर करती है, स्त्रियों के लिए उपयुक्त रोजगार की उपलब्धता तथा स्त्रियों की काम करने के प्रति इच्छा से प्रभावित होती है । परिणामतः स्त्रियों की उच्च स्तर की शिक्षा तथा कार्य के प्रति जागरूकता से नगर एवं महानगरों में पुरूश को महिलाओं के साथ रोजगार प्राप्त करने में जहां कड़ी-प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है वहीं, उनके समक्ष रोजगार एक चुनौती भी बनते जा रही है । तथापित महिलाओं की आर्थिक क्रियाशीलता से न केवल स्त्रियों की आत्मनिर्भरता को प्रश्रय मिला है, अपितु उनके परिवार की सामाजिक आर्थिक स्थिति में भी सकारात्मक सुधार भी हुए हैं ।
उद्देश्य-
प्रस्तुत अध्ययन का मुख्य उद्देष्य बिलासपुर नगर की क्रियाशील महिलाओं की कार्यशीलता प्रतिरूप का विष्लेशण करना तथा उनके आर्थिक सहभागिता से परिवार एवं उनके जीवन की गुणवत्ता को रोजगार के पूर्व एवं बाद की स्थिति के संदर्भ में मूल्यांकन करना है ।
विधितंत्र -
प्रस्तुत अध्ययन वर्श 2007 के व्यक्तिगत सर्वेक्षण से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ों पर आधारित है । बिलासपुर नगर की क्रियाशील महिलाओं का आय स्तर एवं कार्य प्रतिरूप के आधार पर उनके कार्यस्थल में जाकर दैवनिदर्शन द्वारा चयन किया गया । इस प्रकार निम्न एवं निम्नमध्यम आय स्तर से 40-40ः कार्यशील महिलाएं एवं मध्यम आय स्तर से 13 तथा उच्च आय स्तर से 7 महिलाएं चयनित किए गए । महिलाओं के सभी महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र को दृश्टिगत रखते हुए शिक्षा, बैंक, शासकीय सेवा, निजी संस्था में सेवा, उद्योग, निर्माण स्थल, चिकित्सालय, दुकान/व्यापार मजदूर एवं घरेलू मजदूर इत्यादि से महिलाओं का चयन किया गया । इस प्रकार नगर से कुल 454 कार्यशील महिलाएं चयनित हुई है, जो नगर की कुल कार्यशील महिला (13853) का 3.3 है । महिलाओं के कार्य प्रतिरूप एवं जीवन की गुणवत्ता से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए अनुसूची का प्रयोग किया गया । जीवन की गुणवत्ता ज्ञात करने के लिए रोजगार के पूर्व एवं बाद में महिला परिवार के उपभोग वस्तुओं यथा औद्योगिक उपभोग, उर्जा उपभोग, खाद्य सामग्री उपभोग तथा आवासीय स्थिति से मानक इकाईयों को गुणवत्ता के आधार पर भार देकर उनका पृथक-पृथक औसत भार सूचकांक ज्ञात किया गया । तत्पष्चात् सभी मानक इकाई का संयुक्त औसत भार सूचकांक ज्ञात कर उन्हें तीन वर्गों-निम्न, मध्यम एवं उच्च में विभाजित कर जीवन की गुणवत्ता का स्तर का विष्लेशित किया गया ।
परिचय- बिलासपुर नगर (22005’ अक्षांश एवं 82025’ पूर्वी देशांश) छत्तीसगढ़ का महत्वपूर्ण यातायात नगर है । यह नगर 45.43 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है । इसकी समुद्र सतह से उंचाई 285 मीटर है । नगर रेल मार्गों एवं सड़क मार्गो द्वारा भारत के महत्वपूर्ण नगर एवं महानगरों से सम्बद्ध है । बिलासपुर में छत्तीसगढ़ का एकमात्र रेल्वे मण्डल एवं उच्च न्यायालय स्थापित है । अरपा नदी नगर के मध्य से होकर गुजरती है । यहां सिलगिट्टी एवं लाल खदान प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है । वर्श 2001 में नगर की कुल जनसंख्या 2,75,694 है । नगर की भौगोलिक स्थित से नगर में शिक्षा, व्यापार एवं औद्योगिक विकास को नई दिशा मिली, जिसने नगर में रोजगार के अवसर उन्नत एवं विकसित हुए । वर्श 2001 में कुल महिला जनसंख्या का 11.71 महिलाएं क्रियाशील हैं।
नगर में 76.98 महिलाएं साक्षर हैं । महिलाओं की आर्थिक सक्रियता ने नगर के आर्थिक तंत्र को उन्नत एवं मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है । अस्तु नगर के भूवैन्यासिक एवं जनांकिकी स्वरूप के संदर्भ में स्त्रियों की आर्थिक सक्रिय तथा परिवार के आय में उनकी भागीदारी, परिवार के जीवन की गुणवत्ता को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है।
सारणी: 1 कार्यशीलता महिला का सामाजिक स्तर
सामाजिक रोजगार के पूर्व रोजगार के बाद
महिला प्रतिशत महिला प्रतिशत
निम्न 140 30.84 98 21.59
मध्यम 226 49.77 246 54.19
उच्च 88 19.39 110 24.22
स्त्रोतः व्यक्तिगत सर्वेक्षण, 2007
पारिवारिक परिवेश-
महिलाओं की आर्थिक क्रियाशीलता पर उनके पारिवारिक परिवेश विशेषकर सामाजिक - आर्थिक दशाएं विशेष उतप्रेरक कारक रहे हैं । निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं उच्च स्तर की शिक्षा ने महिलाओं में क्रियाशीलता का मार्ग प्रशस्त किया है। चयनित 454 महिलाओं के परिवार की कुल जनसंख्या 1735 है । जबकि लिंगानुपात 1063 महिला प्रतिहजार पुरूश है । महिला के परिवार में 72.30 व्यक्ति क्रियाशील आयु वर्ग (15-59 आयु) से हैं । परिवार में 81 परिवार एकाकी है । चयनित परिवारों में 68.50 परिवार लघु परिवार (चार सदस्य) से हें । महिला परिवारों में 22.68 महिला अनुसूचित जाति तथा 13.21 अनुसूचित जनजाति परिवार से हैं । परिवार में 87.96 व्यक्ति साक्षर हैं । परिवार में 54.18 व्यक्ति क्रियाशील हैं । क्रियाशील व्यक्तियों में 48.30 महिलाएं हैं । क्रियाशील महिलाओं में 39.65 महिलाएं रूपये 5000 से कम एवं 39.65 महिलाएं रूपये 5000 से 10,000 मासिक आय प्राप्त करती है । इस प्रकार चयनित परिवारों में निम्न आर्थिक स्तर की महिलाएं अधिक हैं ।
क्रियाशील महिलाओं की सामाजिक दशाएं-
व्यक्ति की क्रियाशीलता पर उनकी जनांकिकी एवं सामाजिक परिवेश का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है क्योंकि व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक पहलु में परिवर्तन लाने के लिए विभिन्न सामाजिक - आर्थिक व्यवस्था का सृजन करता है, जो भौतिक रूप से विकसित होता है और प्रभावित भी होता है । प्रायः निम्न सामाजिक स्तर के परिवार की, आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए परिवार सहित आर्थिक क्रियाओं में सक्रिय होना, उनकी मजबूती ही नहीं अपितु अनिवार्यता भी है । अतः परिवार के बाल, वृद्ध के साथ महिलाओं की आर्थिक सक्रियता परिवार के लिए विशेष महत्व रखती है । बिलासपुर नगर में चयनित क्रियाशील महिलाओं में सबसे 30-34 आयु वर्ग (47.80) की महिलाएं है जबकि 60 वर्श से अधिक आयु वर्ग में महिलाओं की संख्या सबसे कम (6.83) है ।
सके विपरीत 15-29 आयु वर्ग में 25.53 महिलाएं एवं 45-59 आयु वर्ग में 19.82 क्रियाशील महिलाएं सहभागी रहीं । सिंहा (1987) के अनुसार आयु संरचना केवल भविश्य में जनसंख्या वृद्धि का ही सूचक नहीं है, अपितु यह बाल एवं वृद्ध वर्ग की आर्थिक निर्भरता को भी प्रदर्शित करता है । कार्यशील महिलाओं में 22.68 अनुसूचित जनजाति जाति एवं 13.21 अनुसूचित जनजाति से हैं । मिश्रा (1993) के अनुसार किसी भी समाज का विकास शिक्षा की मात्रा एवं शिक्षा की गुणवत्ता को विकसित किए बिना संभव नहीं है । महिलाओं की अधिक सक्रियता उनके उच्च शैक्षणिक स्तर एवं कार्य करने के प्रति रूचि का परिणाम है । शिक्षा से परिवार एवं समाज दोनों के गुणात्मक स्वरूप में परिवर्तन होता है, जिससे परिवार एवं समाज दोनों की सभ्यता एवं संस्कृति समृद्धशाली होती हैं । उल्लेखनीय है कि नगर की चयनित सभी कार्यशील महिलाएं शत प्रतिशत साक्षर हें । साक्षर कार्यशील महिलाओं में 35.89 महिलाएं प्राथमिक-माध्यमिक स्तर से एवं 18.95 महिलाएं उच्चतर-माध्यमिक स्तर की साक्षर स्तर की साक्षर हैं, जबकि 40.97 महिलाएं स्नातक/स्नाकोत्तर स्तर एवं 4.18 व्यावसायिक स्तर की साक्षर हैं। महिलाओं की उच्च शैक्षणिक स्तर परिवार के जागरूक दृश्टिकोण एवं नगरीय सुविधाओं का प्रतिफल है । कार्यशील महिलाओं में 50.88 महिलाएं अविवाहित हैं जो शिक्षित महिलाओं के आर्थिक निर्भरता के प्रति अधिक रूचि एवं परिपक्वता को प्रदर्शित करता है, जिसके कारण विवाह की आयु में वृद्धि हो रही है । उल्लेखनीय है कि अविवाहित कार्यशीलता महिलाओं से 83.12 अविवाहित महिलाएं निम्न एवं निम्न मध्यम परिवार से हैं ।
नगर की चयनित कार्यशील महिलाओं में 70.49 महिलाएं प्रवासी हैं । प्रवासी महिलाओं में 97.50 महिलाएं राज्य के विभिन्न जिलों से प्रवासित हुई है । प्रवासित महिलाओं में 75 महिलाएं निम्न एवं निम्नमध्य वर्ग (रूपये 10,000 से कम मासिक आय) से हैं । आप्रवासी महिलाओं की अधिक कार्यशीलता न केवल परिवार अपितु क्षेत्र की भी आर्थिक सुदृढ़ता के लिए महत्वपूर्ण हैं ।
कार्यशील महिलाओं की सामाजिक स्तर ज्ञात करने के लिए जाति, शिक्षा एवं अखादय पदार्थों के उपभोग को कार्यशीलता के पूर्व एवं बाद की स्थिति में सम्मिलित किया गया । जाति, शिक्षा, अखादय पदार्थों के उपभोग वस्तुओं को गुणोत्तर आधार पर भार दिया गया तथा समस्त भार का योग कर औसत भार ज्ञात किया गया (सारणी-1)।
सारणी: 2 कार्यशील महिलाओं की कार्यिक संरचना
क्रमांक कार्यिक संरचना कुल महिला प्रतिशत में
1. दुकान/व्यापार 96 21.14
2. मजदूर 91 20.04
3. शिक्षा 74 16.30
4. निजी संस्था 68 14.98
5. शासकीय सेवा 55 12.11
6. बैंक 22 04.85
7. घरेलू महरी 19 04.18
8.
अन्य कार्य 29 06.40
योग 454 100.00
स्त्रोतः व्यक्तिगत सर्वेक्षण, 2007
प्राप्त औसत भार के आधार पर कार्यशील महिलाओं को तीन सामाजिक स्तर यथा निम्न, मध्यम एवं उच्च में वर्गीकृत कर विष्लेशित किया गया । नगर में चयनित कार्यशील महिलाओं में सेवा के पूर्व निम्न सामाजिक स्तर में महिलाओं की सहभागिता 30.84 थी जो सेवा के बाद घट कर 21.59 हो गई । जबकि मध्यम एवं उच्च सामाजिक स्तर में महिलाओं की संख्या में क्रमशः वृद्धि की प्रवृत्ति पाई गई । इससे स्पश्ट होता है कि महिलाओं की क्रियाशीलता से महिलाओं के सामाजिक स्तर में वृद्धि हुई है।
कार्यशील महिलाओं की आर्थिक स्थिति-
किसी भी परिवार में महिलाओं की आर्थिक सहभागिता, स्त्रियों का समाज में स्थान, घर से बहार काम करने की स्वतंत्रता, आर्थिक आवष्यकताएं जो स्त्रियों को कार्य करने को मजबूर करती है, स्त्रियों के लिए उपयुक्त रोजगार की उपलबधता तथा स्त्रियों के काम करने की इच्छा द्वारा निर्धारित होती हैं (चांदना, 1967) । मेहता (1967) के अनुसार विष्व के प्रायः सभी देशों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरूशों की संख्या श्रम शक्ति में अधिक है । किन्तु वर्तमान समय में जहां सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक कारक स्त्रियों की क्रियाशीलता में विशेष बाधक नहीं रहे वहीं उच्च शिक्षा के लिए विशेष अधिकार प्राप्त महिलाओं की भागीदारी आधुनिक जीवकोपार्जन में तीव्रता से बढ़ी है । नियोजित नगर क्षेत्र विशेषकर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक समय से निवासरत् महिलाओं की स्थिति में गुणात्मक सुधार हुआ है । महिलाओं की उच्च शैक्षणिक स्थिति ने स्त्रियों की आत्म निर्भरता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है । इस प्रकार महिलाओं की आर्थिक सक्रियता से परिवार की आर्थिक स्थिति उन्नत एवं समृद्ध हुई है एवं उनके जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार संभव हुआ है ।
बिलासपुर नगर में औद्योगिक एवं व्यापारिक विकास से तृतीयक कार्यों में भी तीव्र परिवर्तन हुए, जिससे नगर के कार्यिक स्वरूप में विविधता परिलक्षित हुई है । कार्यिक विविधता एवं रोजगार की उपलब्धता से पुरूशों के साथ महिलाएं भी प्रभावित हुई । नगर की कुल महिला जनसंख्या (2001) में कुल कार्यशील महिलाओं का प्रतिशत 12.11 है, जबकि कुल कार्यशील महिलाओं में दीर्घकालिक कर्मी महिलाओं का प्रतिशत 86.48 है। नगर में दीर्घकालिक कर्मी महिलाओं में क्रमशः खेतीहर तथा अन्य मजदूर 2.45, पारिवारिक उद्योग में 6.50 तथा अन्य कार्यों में 91.05 महिलाएं संलग्न है । चयनित क्रियाशील महिलाओं में 21.14 महिलाएं दुकान/व्यापार, 20.04ः मजदूरी, 16.30 शिक्षा, 14.98, निजी संस्था, 12.12 ाासकीय सेवा, 4.80 बैंक, 4.20 महरी तथा शेष 6.40 अन्य कार्यों में संलग्न हैं (सारणी - 2) ।
आय स्तर के आधार पर नगर की चयनित महिलाओं में 39.65ः महिलाएं रूपये 5000 से कम, 39.65ः महिलाएं रूपये 5000 से 10000, 13ः महिलाएं रूपये 10000 से 15000 तथा 7.70ः महिलाएं रूपये 15000 से अधिक मासिक आय प्राप्त करते हैं। इस प्रकार कार्यशील महिलाओं में 79.30ः महिला रूपये 10000 से कम मासिक आय प्राप्त करती हैं, जो उनकी निम्न शैक्षणिक योग्यता एवं व्यावसायिक संरचना का परिणाम है । तथापि महिलाओं की सक्रियता से परिवार एवं रहनसहन एवं जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हुई है । चयनित महिला कर्मियों में मात्र 47.14ः महिलाएं अपने परिवार की आय में 25-50ः तक का आर्थिक सहयोग प्रदान करती हैं, जबकि मात्र 5.29ः महिलाएं, परिवार की आय में 25ः से कम आर्थिक सहयोग प्रदान करती हैं । नगर में 50ः से अधिक का आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 47.13ः है । सामान्यता निम्न आय स्तर एवं उच्च शैक्षणिक स्तर वाली महिलाएं अपने परिवार की आय में 50ः से अधिक सहयोग प्रदान करती हैं, क्योंकि इस वर्ग में पुरूश महिला के व्यवसाय में लगभग समान्यता होती है, जबकि उच्च आय स्तर की महिलाएं अपने परिवार की आय में 25ः से कम का सहयोग करती हैं (सारणी-3) । क्योंकि पति/पत्नि के कार्यिक संरचना में विभेद अधिक होता है । निम्न आय स्तर की महिलाएं अपने आय की शतप्रतिशत भाग परिवार की आर्थिक स्थिति को उन्नत एवं समृद्ध करने में समर्पित करती हैं, जबकि उच्च आय स्तर की महिलाएं अपने आय का अधिकांश भाग स्वयं पर एव बचत करने में व्यय करती हैं ।
सारणी: 3 पारिवारिक आय में आर्थिक सहभागिता
पारिवारिक आय मे सहभागिता (प्रतिशत में ) कुल महिला प्रतिशत में
ढ 25 24 5ण्29
25.50 216 47ण्58
50.75 193 42ण्51
झ 75 21 04ण्62
ज्वजंस 454 100ण्00
स्त्रोत: व्यक्तिगत सर्वेक्षण, 2007
आर्थिक स्तर-
कार्यशील महिलाओं के आर्थिक स्तर का विष्लेशण उनके कार्यशीलता से पूर्व एवं बाद की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कर किया गया है । इसके अंतर्गत महिलाओं की आवासीय स्थिति, औद्योगिक उपभोग की वस्तुएं, उर्जा उपभोग एवं खाद्य पदार्थों के उपभोग की वस्तुओं को सम्मिलित किया गया है । गुणवत्ता के आधार पर उपभोग वस्तुओं को भार देकर उनका अलग-अलग औसत भार ज्ञात कर संयुक्त औसत सूचकांक ज्ञात किया गया । औसत सूचकांक को तीन आर्थिक स्तर में वर्गीकृत किया गया । नगर की चयनित कार्यशील महिलाओं के परिवार का आर्थिक स्तर उनके नौकरी के पूर्व क्रमशः 44.18ः निम्न, 35.12ः मध्यम एवं 22.70ः उच्च में था, जो नौकरी के बाद क्रमशः 16.96ः, 56.17ः एवं 26.87ः हो गया (सारणी - 4) । इस प्रकार महिलाओं की क्रियाशीलता से निम्न स्तर के परिवारों की संख्या जहां कम हुई वहीं, स्तर के परिवारों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो परिवार में महिलाओं की आर्थिक सहभागिता के गुणोत्तर स्वरूप को प्रदर्शित करते हैं ।
कार्यकारी दशाएंः
कार्यशील महिलाओं की दक्षता पर पारिवारिक परिवेश एवं कार्यकारी दशाओं का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है । कपूर (1960) के कई अध्ययनों से स्पश्ट है कि महिलाओं की क्रियाशीलता केवल आर्थिक लाभ के कारण ही नहीं अपितु इसके पीछे सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक कारण यथा प्रतिभा का सदुपयोग, उच्च स्तर प्राप्त करना, समाज के लाभार्थ कार्य करना, अपने विशेष व्यवसाय के प्रति मोह एवं आर्थिक स्वालंबी होना भी है । चयनित कार्यशील महिलाओं की कार्यिक सहभागिता में यद्यपि उनकी शैक्षिक योग्यता का विशेष योगदान है, तथापि नगर में 66.51ः महिलाएं परिवार के निम्न आर्थिक स्तर के कारण, 17.63ः आर्थिक निर्भरता के कारण, 14.53ः उच्च शैक्षिक स्तर के कारण तथा 1.33ः समय के सदुपयोग के लिए क्रियाशील हुई हैं (सारणी-5) ।
नगर की कार्यशील महिलाओं में 72.91ः महिलाएं प्रतिदिन 6-8 घंटे कार्य करती हैं । जबकि 24.67ः महिलाएं 8 घंटे से अधिक समय तक कार्य करती है । अधिक समय तक कार्यशील महिलाओं में दुकान / व्यापार अथवा निजी संस्था में क्रियाशील महिलाएं अधिक हैं । नगर की 61.45ः महिलाओं का घर कार्यक्षेत्र से 2 कि.मी. की दूरी पर है जिसका प्रभाव उनके कार्यक्षेत्र तक पहुंचने के साधनों पर पड़ता है । 2 कि.मी. से कम दूरी वाली महिलाएं कार्यक्षेत्र पैदल (58.59ः) अथवा साइकिल / रिक्शा (8.75ः) से जाती हैं, जबकि 2 कि.मी. से अधिक दूरी वाली महिलाएं कार्यक्षेत्र दो पहिया वाहनों (28.28ः) से जाती हैं ।
क्रियाशील महिलाएं, अपनी आय के बचत के प्रति अधिक सजग होती है, तथापि निम्न आय स्तर की महिलाएं जहां अपनी आय का 70ः आय भोजन पर व्यय करती हैं वहीं इनमें बचत की प्रवृत्ति 3ः से कम होती है । इसके विपरीत उच्च आय स्तर की महिलाएं अपनी आय का 30ः भाग बचत में जमा करती हैं, जबकि मध्यम आय स्तर की महिलाएं अपनी आय का 25ः भाग बचत करती हैं । इस प्रकार निम्न आर्थिक स्तर के कारण निम्न आय स्तर की महिलाओं में बचत की प्रवृत्ति कम होती है ।
कार्यशील महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता:
कार्यशील महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता उनके परिवार के सामाजिक आर्थिक स्थिति द्वारा निर्धारित होती है । महिलाओं की आर्थिक क्रियाशीलता से न केवल परिवार के भौतिक सुखों मे सृजनात्मक परिवर्तन होते हैं, अपितु स्वयं महिलाओं के औद्योगिक वस्तुओं के उपभोग, उर्जा उपभोग एवं पोशण स्तर में भी गुणात्मक परिवर्तन संभव हुए हैं।
सारणी: 4 कार्यशील महिलाओं का आर्थिक स्तर
सामाजिक रोजगार के पूर्व रोजगार के बाद
महिला प्रतिशत महिला प्रतिशत
निम्न 105 23.12 77 16.96
मध्यम 246 54.18 253 56.17
उच्च 103 22.70 122 26.87
योग 454 100 454 100
स्त्रोतः व्यक्तिगत सर्वेक्षण, 2007
सारणी: 5 कार्यशीलता के कारण
क्रमांक कार्यशीलता के कारण कुल महिला प्रतिशत में
1. निम्न आय स्तर 302 66.51
2. आत्मनिर्भरता 80 17.63
3. उच्च शिक्षा स्तर 66 14.53
4.
समय का सदुपयोग 06 01.33
योग 454 100
स्त्रोतः व्यक्गित सर्वेक्षण, 2007
बिलासपुर नगर में क्रियाशील महिलाओं की क्रियाशीलता का सर्वाधिक प्रभाव परिवार के आय स्तर पर हुआ, जिस पर परिवार की आवासीय, सामाजिक एवं आर्थिक दशांय निर्भर करती हैं । महिलाओं की आर्थिक सहभागिता से परिवार एवं स्वयं महिला के उपभोग क्षमता में वृद्धि होती है । चयनित क्रियाशील महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता में नौकरी के पूर्व एवं बाद की स्थिति में गुणोत्तर सुधार की प्रवृतित दृश्टव्य हुई । अस्तु बिलासपुर नगर मं कार्यशील महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता को परिवार स्तर पर महिला के नौकरी के पूर्व एवं बाद की आवासीय, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति के आधार पर विष्लेशित किया गया है । महिलाओं एवं उनके परिवार की आवासीय स्थिति, औद्योगिक वस्तुओं के उपभोग, उर्जा उपभोग एवं आर्थिक स्तर के आधार पर मानक इकाईयों को गुणोत्तर भार देकर पृथक-पृथक औसत भार सूचकांक ज्ञात किया गया । तत्पष्चात् सभी मानक इकाईयों का औसत संयुक्त भार सूचकांक ज्ञात कर उन्हें जीवन की गुणवत्ता के तीन स्तरों में रखा गया निम्न, मध्यम एवं उच्च स्तर । इस प्रकार नौकरी के पूर्व एवं बाद की स्थिति में महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता में निम्न स्तर में जहां (89.38ः) कमी हुई वहीं मध्यम (19.16ः) एवं उच्च स्तर में (54.81ः) वृद्धि की प्रवृत्ति पाई गई है (सारणी-6) । महिलाओं की आर्थिक सहभागिता से मध्यम स्तर की महिलाओं का उच्च स्तर के परिवारों में स्थानांतरण अधिक हुआ, जो महिलाओं के उच्च शैक्षणिक स्तर का प्रतिफल है ।
समस्याएं एवं सुझाव-
आधुनिक परिवेश में परिवार एवं समाज का दृश्टिकोण, स्त्री शिक्षा एवं स्त्रियों की आर्थिक सहभागिता के प्रति काफी उदार है, किन्तु पारिवारिक परिवेश में महिला कर्मी को दोहरे दायित्वों के निवर्हन में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है । अलवामिर्डल (1956) के अनुसार कामकाजी महिलाएं अपनी भूमिका का निवह्रन उस रूप में नहीं कर पाती हैं, जिस रूप में पारिवारिक सदस्यों द्वारा उनसे अपेक्षाएं की जाती है । हाटे (1973) के अनुसार विवाहित कामकाजी महिलाओं को नौकरी और घरेलू जीवन में संतुलन बनाए रखने में गहरी कठिनाईयां उठानी पड़ती है । धीगड़ा (1972) ने भी अपने अध्ययन में यह पाया कि विवाहित कामकाजी महिलाओं को नौकरी के साथ घरेलू दायित्व के निवर्हन में कठिनाई उत्पन्न हो रही है । कार्यशील महिलाओं की इन समस्याओं का कुप्रभाव उनकी कार्यिक दक्षता एवं स्वास्थ्य स्तर पर मानसिक तनाव के रूप में उभर कर आया है । नगर की चयनित क्रियाशील महिलाओं में 60.39ः महिला को आर्थिक सहभागिता में यद्यपि परिवार की सहमति प्राप्त है किन्तु दोहरी भूमिका के प्रति परिवार की भूमिका सहयोगात्मक नहीं है । परिणामतः 66.10ः कार्यशील महिलाएं पारिवारिक विसंगतियों के कारण मानसिक तनाव से पीड़ित हैं । इनमें अध्ययन एवं निम्न आय स्तर की विवाहित महिलाएं अधिक हैं, जिन्हें आर्थिक सक्रियता के परिप्रेक्ष्य में शारीरिक एवं मानसिक शोषण के साथ यातनाओं का भी सामना करना पड़ता है ।
नगर में चयनित कार्यशील महिलाओं में 31.35ः महिलाएं कार्यकारी समस्याओं से प्रभावित है । इन समस्याओं में कार्यस्थल का वातावरण जाति, भेद, लिंग, भेद एवं वर्ग भेद प्रमुख है । इस प्रकार नगर की कार्यशील महिलाओं को मानसिक रूप से दोहरे दायित्वों के स्वतंत्रता पूर्वक निवर्हन में परिवार एवं समाज की मान्यताएं समस्यात्मक रूप में बाधक सिद्ध होती है, जिसका प्रभाव उनकी कार्यदक्षता पर पड़ता है ।
सारणी: 6 कार्यशीलता महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता
सामाजिक रोजगार के पूर्व रोजगार के बाद
महिला प्रतिशत महिला प्रतिशत
निम्न 127 27.97 91 20.05
मध्यम 232 57.10 244 53.74
उच्च 95 20.93 119 26.21
योग 454 100 454 100
अस्तु, वर्तमान समय में सभ्यता एवं संस्कृति के दौर में महिलाओं के कार्यक्षेत्र में आष्चर्यजनक रूप से परिवर्तन हुआ है । महिलाओं की उच्च स्तरीय शिक्षा से उनका चहुमुखी विकास संभव हुआ है, जिसके कारण कार्यशील महिलाओं के संबंध में समाज एवं परिवार की रूढ़िवादी एवं परंपरागत विचारधाराएं उन्नत करने में उनकी आर्थिक निर्भरता महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुई है । कार्य महिलाओं को दोहरे उत्तरदायित्वों के निवर्हन के लिए जहां परिवार के प्रत्येक सदस्य की सहयोगात्मक एवं भावनात्मक जिम्मेदारी विशेष हत्व रखती है, वहीं कार्य स्थल में सुखद एवं सुरक्षात्मक वातावरण के आत्मविष्वास एवं स्फूर्ति को बढ़ाने में मददगार सिद्ध होगी । इसके लिए आवष्यक है कि पुरूश कार्यशील महिलाओं के प्रति अपने दृश्टिकोण में सृजनात्मक परिवर्तन लाएं एवं सहकर्मी महिला के साथ स्वस्थ्य एवं मधुर वातावरण में सहयोगात्मक स्वरूप में कार्य करें ।
lanHkZ lwph :
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Received on 12.08.2009
Accepted on 10.10.2009
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Research J. of Humanities and Social Sciences. 1(1): Jan.-March 2010, 01- 04